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सोमवार, 21 दिसंबर 2015

Moun ekadashi, moun gyaras, मौन एकादशी की विधि

मौन एकादशी विशेष

आज मौन एकादशी है। जैन दर्शन में एक बहुत शुभ व मंगलकारी पर्व जिसे मौन एकादशी( मौन ग्यारस ) कहते हैं।यह पर्व मिगसर माह के ग्यारहवें दिन अर्थात मिगसर सुदी ग्यारस को मनाया जाता है। इस दिन एकादशी व्रत पर मौन रहने का महत्व है। वर्ष में एक बार आने वाली मौन एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है। कर्म क्षय करने का यह मुख्य दिन है। इस दिन जैन उपाश्रय, स्थानकों आदि पर विशेष धर्म आराधनाएं होती हैं। इस दिन जो भी धार्मिक क्रिया करेंगे उसका 150 गुणा फल प्राप्त होगा।

आज के दिन अर्थात मौन एकादशी को की जाने वाली धर्म आराधनाएं -

1) मौन धारण के साथ पौषध व्रत

2) 12 लोगस्स का कायोत्सर्ग

3) 12 खमासणा

4) 12 स्वास्तिक

5) इस जप पद की 20 नवकारवाली

" ॐ ह्रीं श्रीं मल्लिनाथ सर्वज्ञाय नमः"

**मौन एकादशी से जुडी विशेष जानकारी**

श्री नेमिनाथ भगवान और कृष्णवासुदेव

एक समय श्री नेमिनाथ भगवान द्वारिका नगरी पधारे।जब कृष्णवासुदेव ने प्रभु के आगमन के समाचार सुने तो वे उनके दर्शनार्थ हेतु उनके समवसरण में गए।उनकी धर्म देशना सुनने के बाद कृष्ण ने उन्हें वंदन नमन किया व उनसे प्रश्न किया, " हे प्रभु ! राजा होने के नाते राज्य की बहुत सारे कर्तव्यों के चलते मैं किस प्रकार अपनी धार्मिक क्रियायों को आगे तक करता रहूँ ? कृपया मुझे पुरे वर्ष में कोई एक ऐसा दिन बताएं जब कोई कम प्रत्याख्यान व्रतादि के बाद भी अधिकतम फल को प्राप्त कर सके ?"
यह सुनकर श्री नेमिनाथ बोले, " हे कृष्ण, यदि तुम्हारी इस प्रकार की इच्छा है तो तुम मगसर माह के ग्यारहवें दिन ( एकादशी अर्थात मगसर सुदी ग्यारस ) को इस दिन से जुडी सभी धार्मिक क्रियाओं को पूर्ण करो।" प्रभु ने इस दिन की विशेषतायें भी समझाईं।

मौन एकादशी की विशेषतायें
एकादशी के इस दिन
1) श्री अरनाथ भगवान ( 18वें तीर्थंकर ) ने सांसारिक जीवन त्यागकर दीक्षा अंगीकार कर साधूत्व अपनाया।

2) श्री मल्लिनाथ भगवान ( 19वें तीर्थंकर ) का जन्म हुआ, संसार त्यागकर दीक्षा अंगीकार की व केवल ज्ञान प्राप्त किया।

3) श्री नेमिनाथ भगवान ( 22 वें तीर्थंकर ) ने केवल ज्ञान प्राप्त किया।

इस प्रकार तीन तीर्थंकरों के 5 कल्याणक इस दिन मनाये जाते हैं।
भरतक्षेत्र व ऐरावत क्षेत्र में भी चौबीसीयां होती हैं, वहां भी 5 कल्याणक होते हैं।इस तरह 5 भरतक्षेत्र में (5 × 5 = 25 )कल्याणक व 5 ऐरावत क्षेत्र में ( 5 × 5 = 25 )कल्याणक होते हैं। अर्थात भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्य काल की चौबीसियों से सभी क्षेत्रों में 50 कल्याणक से कुल 150कल्याणक मिलते हैं।

यह सुनकर कृष्ण ने जिज्ञासावश पूछा, "भगवन, कृपया मुझे बताइये के भूतकाल में किसने इस दिन की पूजा की व इसके फलों को प्राप्त किया ?"
तब प्रभु नेमिनाथ ने सुव्रत सेठ का उदाहरण दिया जिसने इस दिन पूरी परायणता से, भक्ति से धार्मिक क्रियाओं का अनुसरण करके प्रतिज्ञा पूर्ण की और मोक्ष प्राप्त किया।

सुव्रत सेठ की कथा

विजयपाटन नामक नगर के घातकीखंड जिले में सुर नामक व्यापारी रहता था। उस राज्य का राजा सुर का बहुत आदर करता था व उसे बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति समझता था।एक रात्रि, शांतिपूर्वक सोते हुए वह मध्यरात्रि के प्रारंभकाल में जागा, तभी उस पर एक अलौकिक प्रकाश पड़ा व उसे दृष्टान्त हुआ की वह अपने पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों की वजह से इस जन्म में प्रसन्नतापूर्वक संपन्नता से रह रहा है। इसलिए अगले जन्म में सम्पन्नता से जीने के लिए उसे इस जन्म में कुछ फलदायक करना पड़ेगा क्योंकि इसके बिना सब निरर्थक है। सूर्योदय के बाद शीघ्र ही वह अपने गुरु से मिलने गया और उनके उपदेश को सुनकर वह बहुत प्रभावित हुआ व गुरु से पूछा, "हे गुरुदेव ! जिस तरह का कार्य मैं करता हूँ, यह संभव नहीं की मैं नित्य पूजा पाठ व अन्य धार्मिक क्रियाएँ कर सकूँ।यदि आप कृपा करके मुझे कोई एक दिन बताएँ जिस दिन मैं अपनी सब धार्मिक क्रियाएँ कर सकूँ और उनके अधिकतम फल( पुण्य ) प्राप्त कर सकूँ ?"
तब गुरुदेव बोले, " मगसर माह के ग्यारहवें दिन अर्थात मिगसर सुदी ग्यारस को तुम 11 वर्ष और 11 महीने तक लगातार मौन रखकर पौषध रुप में व्रत करो।यह प्रण पूर्ण करने के बाद तुम हर्षोल्लास से मना सकते हो।" यह सुनकर उसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ कथित काल तक पूरी भक्ति से एकादशी का व्रत किया। तपस्या पूर्ण होने के 15 दिन बाद उसकी मृत्यु हो गयी और वह 11वें स्वर्ग( देवलोक ) में गया।वहाँ 21 सागरोपम की आयु पूर्ण करने के पश्चात उसने भरतक्षेत्र के सौरीपुर नामक नगर के सेठ समृद्धिदत के पुत्र के रूप में जन्म लिया।उसके पिता द्वारा उसे सुव्रत नाम मिला। जब उसे ज्ञान हुआ की एकादशी के दिन की पूजा करने के कारण उसे यह सुन्दर जीवन मिला है व वह 11वें देवलोक में गया था, उसने अपनी 11 पत्नियों के साथ एकादशी का प्रण लिया।उसकी सब पत्नियों ने केवलज्ञान प्राप्त किया व मोक्षगमन किया।कुछ समय बाद ही राजा सुव्रत ने भी तपस्या करते हुए केवलज्ञान प्राप्त कर लिया। देवलोक के सभी देवताओं ने उनका यह मुक्ति दिवस मनाया।तब फिर उन्होंने कमल पर विराजित होकर अपने शिष्यों को उपदेश दिए। कुछ वर्षों बाद उन्होंने भी मोक्ष प्राप्त कर लिया।
इस तरह, भगवान नेमिनाथ ने कृष्णवासुदेव को यह कथा बताई और उसके बाद कृष्ण वासुदेव व उनके समस्त राज्य ने इस सम्यक्त्व राह को अनुगमन करने का निर्णय किया।

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

Mata Trishla Julave Putra Parne re, mata+trishla+julave+putra+parne+re

Halarda, haalriya, haalriya, palna geet, song,
माता त्रिशला ज़ुलावे पुत्र पारणे....,
गावे हालो हालो हालरवाना गीत,
सोना-रुपाने वळी रतने जडियु पारणु...
रेशम दोरी घुघरी वागे छुम छुम रित...
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....1

जिनजी पार्श्व प्रभुथी वरश अढीसे अंतरे,
होंसे चोविसमो तीर्थंकर जिन परिमाण,
केशी स्वामी मुखथी एवी वाणी सांभळी,
साची साची हुई ते म्हारे अमृत वाण.....
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....2

चौदे स्वप्ने होवे चक्रि के जिनराज,
वित्या बारे चक्री नही हवे चक्रिराज,
जिनजी पार्श्व प्रभुना श्री केशी गणधार,
तेहने वचने जाण्या चोविसमा जिनराज,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....3

म्हारी कुखे आव्या त्रण भुवन शिरताज,
म्हारी कुखे आव्या तारण तरण जहाज,
म्हारी कुखे आव्या संघ तीरथनी लाज,
हु तो पुण्य पनोती इंद्राणी थई आज,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....4

मुजने दोहलो उपन्यो बेसु गज अंबाडिये,
सिंहासन पर बेसु चामर छत्र धराय,
ते सहु लक्षण मुजने नंदन त्हारा तेजना,
ते दिन संभारुने आनंद अंग न माय,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....5

करतल पगतल लक्षण एक हजार ने आठ छे,
तेहथी निश्चय जाण्या जिनवर श्री जगदीश,
नंदन जमणी जांघे लांछन सिंह बिराजतो,
में तो पहेले स्वप्ने दिठो विसवावीस,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....6

नंदन नवला बांधव नंदिवर्धनना तमे,
नंदन भोजाईओना दियर छो सुकुमाल,
हससे भोजाईओ कही दियर म्हारा लाडका,
हससे रमशेने वळी चुंटी खणशे गाल,
हससे रमशेने वळी ठुंसा देशे गाल,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....7

नंदन नवला चेडा राजाना भाणेज छो,
नंदन नवला पांचसे मामीना भाणेज छो,
नंदन मामलियाना भाणेजा सुकुमाल,
हससे हाथे उच्छाळी कही नाना भाणेजडा,
आंख्यु आंजीने वळी टपकु करशे गाल,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....8

नंदन मामा मामी लावशे टोपी अंगला,
रतने जडिया जालर मोती कसबी कोर,
निला पिलाने वळी राता सर्वे जाती ना,
पहेरावशे मामी म्हारा नंद किशोर,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....9

नंदन मामा मामी सुखलडी बहु लावशे,
नंदन गजुवे भरशे लाडु मोती चूर,
नंदन मुखड़ा जोईने लेशे मामी भामणा,
नंदन मामी कहेशे जीवो सुख भरपूर,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....10

नंदन नवला चेडा राजानी साते सती,
म्हारी भत्रीजी ने बहेन तमारी नंद,
ते पण गजुवे भरवा लाखण श्याही लावशे,
तुमने जोई जोई होशे अधिको परमानंद,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....11

रमवा काजे लावशे लाख टकानो घुघरो,
वळी सुडा मेना पोपटने गजराज,
सारस कोयल हंस तितरने वळी मोरजी,
मामी लावशे रमवा नंद तमारे काज,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....12

छप्पन कुमरी अमरी जळ कळशे न्हवराविया,
नंदन तमने अमने केली घरनी मांही,
फुलनी वृष्टि किधी योजन एकने मांडले,
बहु चिरंजीवो आशीष दिधी तुमने त्यांही,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....13

तमने मेरूगिरी पर सुरपति ऐ न्हवरावीया,
निरखी निरखी हरखी सुकृत लाभ कमाय,
मुखड़ा ऊपर वारु कोटि कोटि चंद्रमा,
वळी तन पर वारु ग्रहगणनो समुदाय,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....14

नंदन नवला भणवा निशाळे पण मुकशु,
गज पर अंबाड़ी बेसाड़ी म्होटे साज,
पसली भरशु श्रीफळ फोफळ नागर वेलशु,
सुखलडी लेशु निशाळीयाने काज,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....15

नंदन नवला म्होटा थाशोने परणावशु,
वर-वहु सरखी जोड़ी लावशु राजकुमार
सरखे सरखा वेवाई वेवणने पधरावशु,
वर-वहु पोंखी लेशु जोई जोईने देदार,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....16

पियर सासर म्हारा बेऊ पख नंदन उजळा,
म्हारी कुखे आव्या तात पनोता नंद,
म्हारे आंगण वुठ्या अमृत दुधे महुला,
म्हारे आंगण फळीया सुर तरु सुखना कंद,
हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....17

ऐणी परे गायु माता त्रिशला सूतनु हालरू,
जे कोई गाशे लेशे पुत्र तणा साम्राजय,
बिलिमोरा नगरे वर्णव्यू श्री वीरनु हालरु,
जय जय मंगल होजो दीप विजय कविराज,

हालो हालो हालो हालो म्हारा नंदने रे.....18

मंगलवार, 31 मार्च 2015

Jain Religion answer... Shravak ke prashn... shravak yogy prashna

1) shravak ke gun kitne ?
  21
2) shravak ke dainik kartavya kitne hai?
  6
3) shravak ke vaarshik kartavya kitne ?
  11
4) shravak ke paryushan ke kartavya kitne ?
  5
5) shravak roj kitne niyamo ko dhaaran karta hai ?
  14
6) shravak ko Dono samay kya Karna chahiye ?
  pratikraman
7) shravak ko mandir ki kitne aashaatana  taalani chahiye ?
 84
8) shravak ka kon sa gunsthan hai ?
  5th deshvirati gunsthan