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रविवार, 29 मार्च 2020

MUNISUVRAT SWAMI EKTISA श्री मुनिसुव्रतस्वामी इकतीसा


श्री मुनिसुव्रतस्वामी इकतीसा
-दोहा-
जय-जय मुनिसुव्रत प्रभो, पावन तेरा नाम।
सुमिरन मन से जो करे, वो पावे शिवधाम
मुनिसुव्रत के पाठ से, संकट सब टल जाय।
सुख संपद् के कोष से, घर आंगन भर जाय
मुनिसुव्रत प्रभुवर जयकारी। जाप जपो नित मंगलकारी 1।
जिन पूजा से जिन हो जावे। पूजा पारसमणि कहलावे 2
मुनिसुव्रत प्रभु परगट ज्योति। ज्यों आभूषण चमके मोती 3
अखिल विश्व तेरे गुण गाता। अपना जीवन सरस बनाता 4
मुख से बरसे अमरित धारा। झेले वो नर हो भवपारा 5
जीवन में जो शांति चाहो। तो मुनिसुव्रत प्रभु को ध्यावो 6
कृष्ण वर्ण जिन प्रतिमा सोहे। मुख मुस्कान सदा मन मोहे ॥7॥
सुनि मन महिमा आनंद पावे। मुनिसुव्रत पक्षाल लगावे 8
अमल नीर गंगोदक लावो। मुनिसुव्रत पक्षाल करावो ॥9॥

ऊँ हीं श्री युत फेरो माला। कट जावे करमन अति काला 10
शनि बन दास रहे चरणन में। मंगल माल लहे जीवन में ॥11
जिसको शनिचर दशा सतावे। नाम लिये सुख शान्ति पावे ॥12
शनिवासर जो तुझ दर आवे। भाग्य रेख पल में खुल जावे 13
सरसति गावत गुण भंडारा। पावइ ना गुण सिंधु किनारा 14
जोगणी भूत प्रेत सब व्यंतर। नाशे सुनि मुनिसुव्रत मंतर 15
सुमिय नरेसर सुत मन मोहे। पथि कंटक पल में अवरोहे ॥16
पदमानंदन वंदन भावे। करत नमन प्रभु आशिष पावे 17
श्यामल वरण सुशोभित काया। दर्शन से मन आनंद छाया 18
घनन-घनन-घन गाजे अम्बर। चमके बिजुरी नाचे सुर नर 19
समकित देने वाले दादा। शिवपद देने वाले दादा 20
आधि व्याधि सब हरने वाले। खाली झोली भरने वाले 21
शनिवासर को पूष्प चढ़ावे। चंदन पूजे धूप करावे 22
नेवद फल पूरे भंडारा। मूंद नयन ध्यावे शतवारा ।123
हे प्रभुवर हम बाल तुम्हारे। नाव करो भवसिंधु किनारे 24
मुनिसुव्रत प्रभु शिवसुख दाता। तुम ही मेरे भाग्य विधाता 25
जेठ वदि आठम निशि आई। मुनिसुव्रत जनमे सुखदाई 26
घर घर बाज रही शहनाई। सुख की घड़ियां दौड़ी आई ॥27॥
तेरा ही है मुझे सहारा। जीवन में कर दो उजियारा ॥28
इच्छा उसकी होती पूरी। सुखसागर से रहे न दूरी 29
पैदल चल जो तुझ दर आवे। दिव्य अखूट खजाना पावे 30
मैं हूँ महर नजर का प्यासा। कर दो मेरी पूरण आशा 31
-दोहा-
इकतीसे के पाठ से, होय सपन साकार।  
शुचि मन शुचि तन कीजिये, श्रद्धा दिल में धार
कुशल वाटिका में करे, पाठ आठ शत एक।
सुख की लीला नित लहे, मिटे दुःख की रेख
माघ शुक्ल तिथि तीज सन्, तेरह दोय हजार।
"कान्ति मणिप्रभ" ने लिखा, इकतीसा श्रीकार
विद्युत् प्रेरण से लिखा, छंद बड़ा मनहार।
"कान्ति मणि" की वंदना, कर लेना स्वीकार
MUNISUVRAT SWAMI EKTISA, JAIN MUNISUVRAT SWAMI PATH,MUNISUVRAT STOTRA, MUNISUVRAT SWAMI STOTRA, 

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