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रविवार, 29 मार्च 2020

NAKODA BHAIRAV CHALISA नाकोड़ा भैरव चालीसा

NAKODA BHAIRAV CHALISA
नाकोड़ा भैरव चालीसा
-दोहा-
पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित्त बसाय।
भैरव चालीसा पढूं, गाता मन हरसायटेर
-चौपाई-
नाकोड़ा भैरव सुखकारी। गुण गाती है दुनिया सारी1
भैरव की महिमा अति भारी। भैरव नाम जपे नर नारी2
जिनवर के हैं आज्ञाकारी। श्रद्धा रखते समकित धारी3
प्रातः उठ जो भैरूँ ध्याता। ऋद्धि-सिद्धि सब संपद् पाता4
भैरूं नाम जपे जो कोई। उस घर में नित मंगल होई5
नाकोड़ा लाखों नर आवे। श्रद्धा से परसाद चढ़ावे6
भैरव-भैरव आन पुकारे। भक्तों के सब कष्ट निवारे7
भैरव दर्शन शक्तिशाली। दर से कोई न जावे खाली8
जो नर नित उठ तुमको ध्यावे। भूत पास आने नहीं पावे9
डाकण छूमंतर हो जावे। दुष्ट देव आड़े नहीं आवे10
दिव्य मणि है मारवाड़ की। मारवाड़ की गोडवाड़ की11॥
कल्पतरू है परतिख भैरूँ । इच्छित देता सबको भैरूं 12
आधि-व्याधि सब दोष मिटावे। सुमिरत भैरूं शांति पावे13
बाहर परदेशे जावे नर। नाम मंत्र भैरूं का लेकर14
चौघड़िया दूषण मिट जावे। काल राहु सब नाठा जावे15
परदेशों में नाम कमावे। धन बोरा में भरकर लावे16
तन में साता मन में साता। जो भैरूँ को नित्य मनाता17
डूंगरवासी काला भैरव। सुखकारक है गोरा भैरव18
जो नर भक्ति से गुण गावे। दिव्य रतन सुख मंगल पावे19
श्रद्धा से जो शीष झुकावे। भैरूँ अमृत रस बरसावे20
मिलजुल सब नर फेरे माला। दौड्या आवे बादल काला21
मेघ झरे ज्यों झरते निर्झर। खुशहाली छावे धरती पर22
अन्न-संपदा भर-भर पावे। चारों ओर सुकाल बनावे23
भैरूँ है सच्चा रखवाला। दुश्मन मित्र बनाने वाला24
देश-देश में भैरूँ गाजे। खूट-खूट में डंका बाजे25
है नहीं अपना जिनके कोई। भैरूँ सहायक उनके होई26
नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे। भैरूँ झट-पट दौड़े आवे27
भूखे नर की भूख मिटावे। प्यासे नर को नीर पिलावे28
इधर-उधर अब नहीं भटकना। भैरूँ के नित पाँव पकड़ना29
इच्छित संपद् आन मिलेगी। सुख की कलियां नित्य खिलेगी॥30
भैरूँ गण खरतर के देवा। सेवा से पाते नर मेवा31
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते। हुकम हाजिरी सदा बजाते32
ॐ ह्रीं भैरव बं बं भैरव। कष्ट निवारक भोला भैरव33
नैन मूंद धुन रात लगावे। सपने में वो दर्शन पावे34
प्रश्नों के उत्तर झट मिलते। रास्ते के कंटक सब मिटते35
नाकोड़ा भैरव नित ध्यावो। संकट मेटो मंगल पावो36
भैरूँ जपन्ता मालं माला। बुझ जाती दुःखों की ज्वाला37
नित उठ जो चालीसा गावे। धन सुत से घर स्वर्ग बनावे38
भैरू चालीसा पढ़े, मन में श्रद्धा धार।
कष्ट कटे महिमा बढ़े, संपद होत अपार39
"जिनकान्ति" गुरुराज के शिष्य "मणिप्रभ" राय।
भैरव के सानिध्य में, ये चालीसा गाय40
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2 टिप्‍पणियां:

  1. Nakoda bhairav maharaj ki jai. They are powerful diety and always give blessings to their devotees. Reading Nakoda bhairav chalisa gives strength and sensibility in life.

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  2. गुरु इकतीसा का सामूहिक पाठ आज,
    साध्वी श्री दीपमाला की 10 की तपस्या की अनुमोदना
    ेअपना कनेक्शन आत्म-परमात्मा से रखे-गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर

    बीकानेर, 18 सितम्बर। गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मुनि मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागअर, साध्वी दीपमालाश्रीजी, शंखनिधि श्रीजी के सान्निध्य में, शुक्रवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दादा गुरुदेव के इकतीसे का सामूहिक पाठ होगा। गुरुवार को बीकानेर की साध्वीश्री दीपमाला के दस दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई। साध्वीजी इससे पूर्व 8 व 30 दिन तथा वर्षीतप सहित अनेक तपस्याएं चुकी है।
    प्रवचन- गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने गुरुवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि आत्म व परमात्मा से कनेक्शन जोड़े तथा शुभ से निर्मल, शुद्ध व बुद्ध की और बढ़े। शुभ प्राप्ति के लिए प्रयास कर जीवन को सार्थक बनाएं। शुभ के लिए प्रयास से अशुभ अपने आप कम हो जाएगा। जीवन में त्याग को महत्व दें। पाप कर्मों के बंधन के कनेक्शन को काटे तथा धर्म-आध्यात्म से कनेक्शन जोड़े। संसार व सांसारिक विषय, भोग, नाते रिश्ते सभी स्वार्थ के है। जब स्वार्थ पूर्ति हो जाती है लोग आपसी कनेक्शन को काट देते है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पुण्य से प्राप्त सुख, सम्पति, वैभव, कुल व मानव जीवन में पुण्य को क्षीण नहीं होने दे, पुण्य के बैलेंस को निरन्तर वृद्धि करें। पुण्य का बैलेंस कम होने से भविष्य खराब हो सकता है।
    गणिवर्य ने दादा गुरुदेव के इकतीसा का श्लोक ’’संवत आठ दोय हजारा, आसोज तेरस शुक्रवारा। शुभ मुर्हूत वर सिंह लग्न में, पूर्ण किन्हों बैठ मगन में’’ सुनाते हुए कहा कि इसी बीकानेर की पुण्य धरा पर गुरु भक्त गोपाल दास ने 74 वर्ष पूर्व रचना की थी। उस दिन आसोज बदी तेरस, शुक्रवार संवत् 2008 था। वर्षों बाद गुरु इकतीसा की रचना की तिथि पुनः आई है। गुरु इकतीसा के लेखन का 75 वां मंगल प्रवेश हो रहा है। वार व तिथि के सुन्दर योग के स्वर्णिम अवसर पर दादा गुरुदेव देव का सामूहिक इकतीसा का पाठ सर्व मंगलकारी, हितकारी है। उन्होंने बताया कि देश विदेश की हजारों दादा गुरुदेव की दादा बाड़ियों में श्रद्धा-भक्ति भाव के साथ नियमित इकतीसा का पाठ कर श्रावक-श्राविकाएं अपने मनोरथ को प्राप्त कर रहे है। shiv kumar soni senior journalist Bikaner rajasthan 9829796214

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