-दोहा-
पार्श्वनाथ प्रणमो सदा, मन में श्रद्धा धार।
मंगलमाल लहो सदा, करो सपन साकार॥
चालीसा प्रभु पार्श्व का, इक मन से हो जाप।
ऋद्धि-वृद्धि-संपद् लहे, मिटे सकल संताप॥
चौपाई
तीर्थंकर प्रभु पारस प्यारे। वामानंदन जगत दुलारे॥1॥
अश्वसेन आंगन हुलराया। सुर सुरपति ने ठाट रचाया॥2॥
पारसमणि है प्रभुवर पारस। गूंजे चिहुं दिशि पारस-पारस॥3॥
जय प्रभु पारस जय प्रभु पारस। जय पद्मावती पूजित पारस॥4॥
पारस तेरा मुझे सहारा। हाथ पकड़ मैं लहूँ किनारा॥5॥
तेरे दर पर जो आता है। झोली अपनी भर जाता है॥6॥
कल्पवृक्ष चिंतामणि प्रभुवर। वांछित दाता पार्श्व जिनेश्वर॥7॥
तुम हो गौड़ी तुम शंखेश्वर। नवखण्डा भाभा नागेश्वर॥8॥
पार्श्व अवन्ति मक्षी स्तंभन। नाकोडा लौद्रव भयभंजन॥१॥
पारसमणि दोकड़िया चंदा। जीरावला नव सप्त फणिन्दा॥10॥
अशापूरण कुंकुमरोला। पार्श्व स्वयंभू घृतकल्लोला ॥11॥
नवपल्लव फलवृद्धि गडलिया। सहसफणा कल्याण भीलड़िया ॥12॥
वाडी धींगड़मल मनमोहन। दादा जोटिंगड मनरंजन ॥13॥
मुहरि सेसली मणि दरकाणा। पल्लवीया चंपा सुलताना ॥14॥
शेरिसा कलिकुंडानंदा। पार्श्व भटेवा कष्ट हरिन्दा ॥15॥
अमीझरा सोगठिया कंकण। अंतरिक्ष नारंगा रावण ॥16॥
श्री सम्मेतशिखर केसरिया। जगवल्लभ कोका सांवरिया ॥17॥
राजा राणकपुर भद्रेश्वर। चोरवाड शंखल पंचासर ॥18॥
अजाहरा जयवर्द्धन द्वारा। कंबोई वही यश कल्हारा॥19॥
नवलक्खा तिवरी पोसलिया। संकट हरणा जय डोकरिया॥20॥
मनरथपूरण जय गंभीरा। लोढ़ण श्री देराउर जीरा॥21॥
पास अलौकिक पास करेड़ा। चेल्लण भद्रसमीनाखेड़ा॥22॥
कच्छुलिका गिरूआ मंडोवर। चारूप दुखभंजन सुखसागर॥23॥
नागफणा फुल्लिंग मुलेवा। भुवन विमल उवसग्ग हरेवा॥24॥
पार्श्व शामला विघन विनाशक। डोसल पोसीना सुखकारक॥25॥
वाराणसी गलिया कंसारी। पार्श्व प्रभु की महिमा न्यारी॥26॥
काभीका ह्रीँ पुरुषादानी। पार्श्व प्रभु है अवढरदानी॥27॥
रत्न चिंतामणि पारस देवा। जय कुकडेश्वर जय महादेवा॥28॥
आठ एक सौ पारस नामा। जाप जपो नित आठों यामा॥29॥
ऊँ ह्रीँ क्रों हर्व्यूं शंखेश्वर। नमः पार्श्वनाथाय जिनेश्वर॥30॥
बीज मंत्र युत माला फेरे। ऋद्धि-वृद्धि के होते डेरे॥31॥
तेरे हाथों जीवन मेरा। चरणों में है मेरा डेरा॥32॥
जाप जपे जो श्रद्धा भावे। मां पद्मावती दौड़ी आवे॥331
पावे शांति सुख सम्माना। नाशे कष्ट विपत्ति नाना॥34॥
भूत-प्रेत-व्यंतर सब नाशे। जो होता प्रभु पार्श्व सगासे॥351
डाकण-शाकण पास न आवे। रोग-शोक भय पीर न पावे॥36॥
इक शत आठ बार जो गावे। वदि दशमी को आनंद पावे॥37॥
-दोहा-
चालीसा जो नित पढ़े, जीवन हो खुशहाल।
तन-मन-चेतन शान्त हो, घर हो मालामाल॥38॥
अल्पबुद्धि श्रद्धा नहीं, दोष भरा हूँ नाथ!
फिर भी तेरा हूँ प्रभो, पकड़ो मेरा हाथ ॥
शरण मुझे दो हे प्रभु, पार्श्वनाथ गुण खान।
"कान्ति मणि" की वंदना, स्वीकारो भगवान॥PARSHWANATH CHALISA, PARSHWA CHALISA, JAIN PARSHVANATH PATH, PARSHVANATH SWAMI STOTRA, PARSHVANATH STOTRA, 108 NAMES OF PARSHWANATH,
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