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रविवार, 29 मार्च 2020

PARSHWANATH CHALISA श्री पार्श्वनाथ चालीसा (108 नाम गर्भित)



-दोहा-
पार्श्वनाथ प्रणमो सदा, मन में श्रद्धा धार।
मंगलमाल लहो सदा, करो सपन साकार
चालीसा प्रभु पार्श्व का, इक मन से हो जाप।
ऋद्धि-वृद्धि-संपद् लहे, मिटे सकल संताप
चौपाई
तीर्थंकर प्रभु पारस प्यारे। वामानंदन जगत दुलारे1
अश्वसेन आंगन हुलराया। सुर सुरपति ने ठाट रचाया2
पारसमणि है प्रभुवर पारस। गूंजे चिहुं दिशि पारस-पारस3
जय प्रभु पारस जय प्रभु पारस। जय पद्मावती पूजित पारस4
पारस तेरा मुझे सहारा। हाथ पकड़ मैं लहूँ किनारा5
तेरे दर पर जो आता है। झोली अपनी भर जाता है6
कल्पवृक्ष चिंतामणि प्रभुवर। वांछित दाता पार्श्व जिनेश्वर7
तुम हो गौड़ी तुम शंखेश्वर। नवखण्डा भाभा नागेश्वर8
पार्श्व अवन्ति मक्षी स्तंभन। नाकोडा लौद्रव भयभंजन
पारसमणि दोकड़िया चंदा। जीरावला नव सप्त फणिन्दा10

अशापूरण कुंकुमरोला। पार्श्व स्वयंभू घृतकल्लोला 11
नवपल्लव फलवृद्धि गडलिया। सहसफणा कल्याण भीलड़िया 12
वाडी धींगड़मल मनमोहन। दादा जोटिंगड मनरंजन 13
हरि सेसली मणि दरकाणा। पल्लवीया चंपा सुलताना 14
रिसा कलिकुंडानंदा। पार्श्व भटेवा कष्ट हरिन्दा 15
अमीझरा सोगठिया कंकण। अंतरिक्ष नारंगा रावण 16
श्री सम्मेतशिखर केसरिया। जगवल्लभ कोका सांवरिया 17
राजा राणकपुर भद्रेश्वर। चोरवाड शंखल पंचासर 18
अजाहरा जयवर्द्धन द्वारा। कंबोई वही यश कल्हारा19
नवलक्खा तिवरी पोसलिया। संकट हरणा जय डोकरिया20
मनरथपूरण जय गंभीरा। लोढ़ण श्री देराउर जीरा21
पास अलौकिक पास करेड़ा। चेल्लण भद्रसमीनाखेड़ा22
कच्छुलिका गिरूआ मंडोवर। चारूप दुखभंजन सुखसागर23
नागफणा फुल्लिंग मुलेवा। भुवन विमल उवसग्ग हरेवा24
पार्श्व शामला विघन विनाशक। डोसल पोसीना सुखकारक25
वाराणसी गलिया कंसारी। पार्श्व प्रभु की महिमा न्यारी26
काभीका ह्रीँ पुरुषादानी। पार्श्व प्रभु है अवढरदानी27
रत्न चिंतामणि पारस देवा। जय कुकडेश्वर जय महादेवा28
आठ एक सौ पारस नामा। जाप जपो नित आठों यामा29
ऊँ ह्री क्रों हर्वयूं शंखेश्वर। नमः पार्श्वनाथाय जिनेश्वर30
बीज मंत्र युत माला फेरे। ऋद्धि-वृद्धि के होते डेरे31
तेरे हाथों जीवन मेरा। चरणों में है मेरा डेरा32
जाप जपे जो श्रद्धा भावे। मां पद्मावती दौड़ी आवे331
पावे शांति सुख सम्माना। नाशे कष्ट विपत्ति नाना34
भूत-प्रेत-व्यंतर सब नाशे। जो होता प्रभु पार्श्व सगासे351
डाकण-शाकण पास न आवे। रोग-शोक भय पीर न पावे36
इक शत आठ बार जो गावे। वदि दशमी को आनंद पावे37
-दोहा-
चालीसा जो नित पढ़े, जीवन हो खुशहाल।
तन-मन-चेतन शान्त हो, घर हो मालामाल38
अल्पबुद्धि श्रद्धा नहीं, दोष भरा हूँ नाथ!
फिर भी तेरा हूँ प्रभो, पकड़ो मेरा हाथ ॥
शरण मुझे दो हे प्रभु, पार्श्वनाथ गुण खान।
"कान्ति मणि" की वंदना, स्वीकारो भगवान
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