तीर्थंकर कर्मभूमि में ही जन्म लेते है। जिनके अलग अलग विभागों को विजय कहते है। ऐसे एक विजय में एक काल में एक ही तीर्थंकर होते है।
जंबुद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में 32 विजय है। भरत क्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र में 1 - 1 विजय है। ऐसे सभी मिलकर 34 विजय है। जंबुद्वीप से घातकी खंड क्षेत्र में दो गुना होने से वहाँ 68 विजय है। अर्धपुष्करावर्त खंड घातकी खंड जितना होने से वहाँ भी 68 विजय है।
ऐसे जंबुद्वीप में 34 , घातकी खंड में 68 और अर्धपुष्करावर्त खंड में 68 विजय है। जिस काल में सभी क्षेत्र में तीर्थंकर विद्यमान होते है , वो काल में उनकी उत्कृष्ट संख्या 170 होती है। श्री अजितनाथ भगवान के शासन में उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर विचरते थे।
उत्कृष्ट तीर्थंकर
जंबुद्वीप में 34 तीर्थंकर
घातकी खंड में 68 तीर्थंकर
अर्धपुष्करावर्त खंड में 68 तीर्थंकर
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