जंबूद्वीप:-
A[ प्र. ] भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के चरम ( अंतिम किनारे के) प्रदेश लवणसमुद्र का स्पर्श
करते हैं?
[ उ. ] हाँ, गौतम । वे लवणसमुद्र का स्पर्श करते हैं ।
[ प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के जो प्रदेश लवणसमुद्र का स्पर्श करते हैं, क्या वे जम्बूदीप के ही प्रदेश कहलाते हैं या लवणसमुद्र के प्रदेश कहलाते हैं ?
{ उ.] गौतम ! वे जम्बूद्वीप के ही प्रदेश कहलाते हैं, लवणसमुद्र के नहीं कहलाते । इसी प्रकार
लवणसमुद्र के प्रदेशों की बात है, जो जम्बूद्वीप का स्पर्श करते हैं ।
[ प्र. ] भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के जीव मरकर लवणसमुद्र में उत्पन्न होते हैं ?
[ उ. ] गौतम ! कतिपय उत्पन्न होते हैं, कतिपय उत्पन्न नहीं होते इसी प्रकार लवणसमुद् के जीवो
के जम्बूद्वीप में उत्पन्न होने के विषय में जानना चाहिए।
(१) खण्ड, (२) योजन, (३) वर्ष, ( ४) पर्वत (५) कूट, (६) तीर्थ, ( ७) श्रेणियाँ, (८)
विजय, (९) द्रह, तथा (१०) नदियाँ-इनका प्रस्तुत सूत्र में वर्णन है, जिनकी यह संग्राहिका गाया है।
[ प्र. १] भगवन् ! (एक लाख योजन विस्तार वाले) जम्बूदीप के (526/6/19 योजन विस्तृत) भरत क्षेत्र के प्रमाण जितने-भरत क्षेत्र के बराबर खण्ड किये जाएँ तो कितने खण्ड होते हैं ?
[ उ. ] गौतम ! खण्डगणित के अनुसार वे एक सौ नब्बे होते हैं ।
[ प्र. २ ] भगवन् ! योजनगणित के अनुसार जम्बूद्वीप का कितना प्रमाण है ?
[ उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल-प्रमाण (७,९०,५६,९४, १५०) सातअरब नव्बे करोड़
छप्पन लाख चौरानवे हजार एक सौ पचास योजन है ।
[ प्र. ३ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने वर्ष-क्षेत्र हैं ?
[ उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप में सात वर्ष-क्षेत्र हैं- (१ ) भरत, ( २ ) ऐरावत, (३) हैमवत, ( ४)
हैरण्यवत, (५) हरिवर्ष, (६) रम्यकवर्ष, तथा (७) महाविदेह।
[ प्र. ४ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत कितने वर्षधर पर्वत, कितने मन्दर पर्वत, कितने चित्र
कूट पर्वत, कितने विचित्र कूट पर्वत, कितने वमक पर्वत, कितने काञ्यनक पर्वत, कितने वक्षस्कार
पर्वत, कितने दीर्घ वैताढ्य पर्वत तथा कितने वृत्त वैताढ्य पर्वत हैं ?
[ उ. ] गौतम !जम्बूद्वीप के अन्तर्गत छह वर्षधर पर्वत, एक मन्दर पर्वत, एक चित्र कूट पर्वत,
एक विचित्र कूट पर्वत, दो यमक पर्वत, दो सौ काञ्चनक पर्वत, बीस वक्षस्कार पर्वत, चौतीस दीर्घ वैताढ्य पर्वत तथा चार वृत्त वैताढ्य पर्वत हैं । यों जम्बूद्वीप में पर्वतों की कुल संख्या ६ + १ + १ + १ + २ + २०० + २० + ३४ + ४=२६९ (दो सौ उनहत्तर) हैं।
[ प्र. ५] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने वर्षधरकूट, कितने वक्षस्कारकूट, कितने वैताज्यकूट तथा
कितने मन्दरकूट हैं ?
[ उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप में छप्पन वर्षधर कूट, छियानदे वक्षस्कार कूट, तीन सौ छह वैताब्य कूट
तथा नौ मन्दर कूट बतलाये हैं। इस प्रकार ये सब मिलाकर कुल ५६ + ९६ + ३०६ + ९
४६७ कूट हैं।
[ प्र. ६ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र में कितने तीर्थ हैं ?
[ उ. ] गौतम ! जम्बूदीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र में तीन तीर्थ हैं-(१) मागध तीर्थ, ( २ ) वरदाम
तीर्थ, तथा (३) प्रभास तीर्थ।
[पर.] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरवत क्षेत्र में कितने तीर्थ हैं ?
[ उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरवत क्षेत्र में तीन तीर्थ हैं- (9) मागध तीर्थ, ( २) वरदाम
तीर्थ, तथा (३) प्रभास तीर्थ ।
[ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में एक एक चक्रवर्तिविजय में कितने-कितने
तीर्थ हैं?
[उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में एक- एक चक्रवर्तिविजय में तीन- तीन तीर्थ
हैं-(१) मागध तीर्थ, (२) वरदाम तीर्थ, तथा (३) प्रभास तीर्थ ।
यों जम्बूदीप के चौंतीस क्षेत्रों में कुल मिलाकर ३४ x३=१०२ (एक सौ दो) तीर्थ हैं।
[प्र. ७] भगवन् ! जम्बूदीप के अन्तर्गत विद्याधर श्रेणियाँ तथा आभियोगिक श्रेणियाँ
कितनी-कितनी हैं?
[ उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप में अड़सठ विद्याधर श्रेणियां तथा अड़सठ आभियोगिक श्रेणियाँ हैं (प्रत्येक दीर्घ वैताळ्य पर्वत पर दो-दो)। इस प्रकार कुल मिलाकर जम्बूद्वीप में ६८ + ६८=१३६ (एक सौ छत्तीस) श्रेणियाँ हैं l
[ प्र. ८] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चक्रवर्तिविजय, राजधानियाँ, तिमित्र गुफाएँ, खण्डप्रपात
गुफाएँ, कृत्तमालक देव, नृत्तमालक देव तथा ऋषभकूट कितने-कितने हैं ?
[उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चौंतीस चक्रवर्तिविजय ( १ भरत, १ ऐरावत, ३२ महाविदेह
विजय), चौंतीस राजधानियाँ, चौंतीस तिमिस्र्र गुफाएँ, चौंतीस खण्डप्रपात गुफाएँ, चौतीस कृत्मालक देव, चौंतीस नृत्तमालक देव तथा चौंतीस ऋषभकूट हैं ।
[प्र. ९] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाद्रह कितने हैं ?
[उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत सोलह महाद्रह हैं।
[. १०] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत वर्षधर पर्वतों से कितनी महानदियाँ निकलती हैं और
कुण्डों से कितनी महानदियाँ निकलती हैं ?
[उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चौदह महानदियाँ वर्षधर पर्वतों से निकलती हैं तथा छिहत्तर महानदियाँ कुण्डों से निकलती हैं । कुल मिलाकर जम्बूदीप में १४ + ७६=९० (नब्बे) महा नदिया हैं।
[ प्र. ११ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र तथा ऐरवत क्षेत्र में कितनी महानदियाँ हैं?
[उ. ] गौतम ! चार महानदियाँ हैं- (9) गंगा, (२) सिन्धु, (३) रक्ता, तथा (४) रक्तवती।
एक-एक महानदी में चौदह-चौदह हजार नदियाँ मिलती हैं उनसे आपूर्ण होकर वे पूर्वी एवं पश्चमी
लवणसमुद्र में मिलती हैं भरतक्षेत्र में गंगा महानदी पूर्वी लवणसमुद्र में तथा सिन्धु महानदी पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है। ऐरवत क्षेत्र में रक्ता महानदी पूर्वी लवणसमुद्र में तथा रक्तवती महानदी पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है यों जम्बूदीप के अन्तर्गत भरत तथा ऐरवत क्षेत्र में कुल १४,००० x४ =५६,००० (छप्पन हजार) नदियों होती हैं ।
ललितजी मुथलिया
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