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मंगलवार, 24 सितंबर 2019

Upadhyay Sadhu kirti ji rachit जिनकुशलसूरि छन्द

उपाध्याय साधुकीर्ति रचित
जिनकुशलसूरि छन्द 
विलसै ऋद्धि समृद्धि मिली, शुभ योगे पुण्य दशा सफली । 
जिनकुशलसूरि गुरु अतुल बली, मनवांछित आपे दादो रंग रली ।।१।। 
मंगल लील समै विपुला, नवनवा महोच्छव राज्य कला | 
सुपसायै गुरु चढती कला, सुकलीणी पुत्रवती महिला ।।२।। 
सबही दिन थायै सबला, सद्वास कपूर तणा कुरला । 
हय गय रथ पायक बहुला, कल्लोल करे मन्दिर कमला ||३|| 
वीझै चमर निशान घूरे, नर वे दरबार खड़ा पहुरे । 
जय जय कर जोड़ी उचरे, सानिद्ध गुरु सब काज सरे ||४|| 
सरसा भोजन पान सदा, दु:ख रोग दुकाल न होय कदा । 
अविचल उल्लट अंग मुदा, गुरु कूरम दृष्टि प्रसन्न सदा ।।५।।
घम घम मद्दल नाद घुमे, बत्तीसे नाटक रंग रमे । 
प्रगट्यो पुण्य प्रताप हमें, सबला अरियण ते आय नमें ।।६।। 
तन सुख मन सुख चीर तणे, पहिरे बेला उर होय रणे । 
ध्यावो कुशल गुरु एक मनै, जृंंभक सुर मन्दिर भरय धनै ।।७।। 
ततखिन धन खंच्यो आवे, करी श्याम घटा मेह वरसावे ।
तिसियां तोय तुरत पावे, जलदाता त्रिजग सुजस गावै ||८|| 
लहर्या जल कल्लोल करे, प्रवहण भव सायर मज्झ डरे । 
वूडन्ता वाहन जे समरे, ते आपद निश्चय थी उबरे ।।९।। 
खड़ खड़ खड़ग प्रहार वहै, सौदामिनी जिम समशेर सहै । 
कुशल कुशल गुरु नाम कहै, ते क्षेम कुशल रण मज्झ लहै ।।१०।। 
थुंभ सकल परचा पूरे, श्री नागपुरे संकट चूरे । 
मंगलोरे अधिके नूरे, देराउर भय टाले दूरे ।।११।। 
वीरमपुर वाने सुधरे, खंभायतपुर विक्रम नयरे । 
जिनचन्द्र सूरि पाटे पवरे, जसु कीरति मही मंडल पसरे ।।१२।। 
पूरव पश्चिम दक्षिण आगे, उत्तर गुरु दीपे सोभागे । 
दह दिशि जन सेवा मांगे, श्री खरतर गच्छ नी महिमा जागे ।।१३।। 
पुर पट्टन जनपद ठामे, गाईजे कुशल नयर गामे । 
पूजे जे नर हित कामे, ते चक्रवर्ति पदवी पामे ||१४|| 
श्री जिनकुशल सूरि शाखै, सेवक जन ने सुखिया राखै । 
समर्या गुरु दरसण दाखै, श्री 'साधुकीर्ति' पाठक भाखै ।।१५।।

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