श्री सिद्धाचलजी तीर्थ का चैत्यवंदन
जय जय नाभि नरिन्द नन्द, सिद्धाचल मंडण,
जय जय प्रथम जिणंद चन्द, भव दुःख विहण्डण।।।।।
जय जय साधु सुरिंद वृंद, वंदिय परमेसर,
जय जय जगदानन्द कन्द, श्री रिषभ जिणेसर ।।2।।
अमृतसम जिन धर्मनों ए, दायक जगमें जाण,
तुझ पद पंकज प्रीतिधर, निशदिन नमत कल्याण 13।।
खरतरगच्छ साहित्य कोश क्रमांक- 3520)
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