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लगभग 2200 वर्ष प्राचीन, राजा सम्प्रति कालीन, श्री अजितनाथ स्वामी प्रभु, उधरोज़ तीर्थ, गुजरात।
अर्हन्तमजितं विश्व कमलाकर भास्करम्।
अम्लान केवलादर्श सक्रान्त जगतं स्तुवे।।
जिस तरह सूर्य से कमल-वन आनन्दित होता है, उसी तरह जिस से यह सारा जगत् आनन्दित है, जिसके केवल क्षान रूपी निर्मल दर्पण में सारे लोकों का प्रतिबिम्ब पङता है, उस अजितनाथ प्रभु की स्तुति करते है।
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